जुगल कलाल/डूंगरपुर. कहते हैं मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. जी हां इन्हीं पंक्तियों को साकार कर दिखाया है डूंगरपुर रहने वाली दृष्टिबाधित नेहल जैन ने. नेहल जैन ने सीए फाइनल एग्जाम को 61 फीसदी अंकों के साथ पास किया है. ऐसा करने वाली नेहल डूंगरपुर की पहली दृष्टिहीन महिला है.
साथी बच्चे कर देते थे नोट्स बनाने में मदद
नेहल जन्मजात आखों से देख नहीं सकती है. जब स्कूल गई तो पढ़ने लिखने कई सारी दिक्कतें आई. नेहल के दोस्त बोर्ड पर लिखा हुआ उसे पढ़कर सुनाते और नेहल उन्हें नोट करती. जब पेपर लिखने का समय आता तो कोई ना कोई दोस्त उसका पेपर लिख देता. वो कहती है कि उसे कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि वो अकेली है. दृष्टिहीन होने के कारण हर वक्त कोई ना कोई उसकी मदद कर देता.
टेक्नोलॉजी ने बदल दी नेहल की दुनिया
नेहल कहती हैं कि आज के दौर में टेक्नोलॉजी बहुत आगे बढ़ गई है. आज ऐसे ऐप आ चुके हैं. जिसकी मदद लेकर विशेष श्रेणी के छात्र भी हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं. जब मैने सीए करने का सोचा तब ओसीआर (ऑपिकेटिल कैरेक्टर रिक्विजिशन) ऐप की मदद से पढ़ाई शुरू की. ओसीआर एक ऑडियो ट्रांसलेटर ऐप यहां वो लिखे हुए को पड़कर सुनाता है.
जब इस ऐप पर पढ़ना शुरू किया तब शुरुवाती दौर में काफी दिक्कतें आई. लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ आसान होने लगा. आज हालात ये हैं कि कोई भी नोट्स वो 3x की स्पीड से सुन लेती है. इसी के साथ वो मोबाइल चलाती हैं, किसी को फोन करना या यूट्यूब चलाना हो, सब वो आसानी से कर लेती है.
मां ने लिखा सीए फाइनल पेपर
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