हाइलाइट्स
आयुर्वेद में कैथा फल का इस्तेमाल जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है.
कैथा में आयरन, कैल्शियम, फोस्फोरस और जिंक पर्याप्त मात्रा में होते हैं.
खास फायदे: आयुर्वेद में कई तरह के ऐसे पेड़-पौधे हैं, जिनके जड़, तना, पत्ती, फूल और फल बेहद करामाती माने जाते हैं. इनका इस्तेमाल कई गंभीर बीमारियों से छुटकारा दिलाने के लिए औषधी के रूप में किया जा रहा है. ऐसी ही औषधीयों से भरपूर एक फल है, जिसको कैथा के नाम से जानते हैं. कैथा का वानस्पतिक नाम लिमोनी एसिडिसिमा (Limonia Acidissima) है. बेल पत्थर की तरह दिखने वाला यह फल हाथियों को बेहद पसंद होता है. इसलिए दुनिया के कई हिस्सों में इसे हाथी सेब भी कहा जाता है.
कैथा फल को बेशक हर किसी ने ना खाया हो, लेकिन नाम जरूर सुना होगा. आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल जड़ी बूटी के रूप में किया जाता है. बता दें कि, इस फल में आयरन, कैल्शियम, फोस्फोरस और जिंक पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें विटामिन बी1 और बी2 भी पाया जाता है. यह फल बाजार में करीब 10 रुपये में मिल जाता है. आइए बलरामपुर चिकत्सालय लखनऊ के आयुर्वेदाचार्य डॉ. जितेंद्र शर्मा से जानते हैं कैथा खाने के फायदे.
कैथा के 5 चमत्कारी स्वास्थ लाभ
1. डायबिटीज में रामबाण: कैथा का सेवन डायबिटीज के लिए अधिक असरदार माना जाता है. बता दें कि, कैथे के पेड़ से निकलने वाले फेरोनिया गूंदा मधुमेह रोगियों के लिए रामबाण इलाज है. यह फल रक्त प्रवाह में चीनी के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है. इसके नियमित सेवन से रक्त में ग्लूकोज का स्तर कम होता है. इसके अलावा ये इंसुलिन सेल्स को भी बढ़ाने में मदद करता है, ताकि वो तेजी से काम करें और शुगर मेटाबोलिज्म को आसान बनाएं.
2. हाई कोलेस्ट्रॉल करे कंट्रोल: कैथे का सेवन हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों के लिए फायदेमंद माना जाता है. बता दें कि, कैथा में पाया जाने रफेज और फाइबर नसों में जमा कोलेस्ट्रॉल को सोखता है और इसे शरीर से बाहर निकालने में मदद करता है. इसके अलावा इसमें मौजूद विटामिन सी ब्लड वेसेल्स को चौड़ा करता है और खून की रफ्तार को बेहतर बनाने का काम करता है. ऐसे में हाई कोलेस्ट्रॉल के मरीजों को कैथा का सेवन जरूर करना चाहिए.
3. बवासीर से करे बचाव: कैथा का सेवन बवासीर की तकलीफ को दूर करने में असरदार माना जाता है. दरअसल, कैथा का फाइबर और रफेज मेटाबोलिक रेट बढ़ाने के साथ बॉवेल मूवमेंट में सुधार करने का काम करता है. इसके अलावा ये मूत्र मार्ग की सूजन को भी कम करता है. हालांकि बीमारी के हिसाब से इसका नियमित सेवन जरूरी है. ताकि समय रहते परेशानियों से निजात मिल सके.
4. अनिद्रा से दिलाए छुटकारा: कैथा की जड़ के चूर्ण का उपयोग अनिद्रा से छुटकारा पाने और नींद की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए किया जाता है. जड़ के चूर्ण को पानी में मिलाकर गाढ़ा घोल बना लें और अच्छी नींद लेने के लिए इस घोल को अपने सिर के कनपटी और माथे पर लगाएं. इससे अनिद्रा से छुटकारा मिलेगा. इसके अलावा लिमोनिया एसिडिसिमा की पत्तियों का उपयोग बच्चों में पाचन संबंधी समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है.
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