हाइलाइट्स
सरकार ने लैपटॉप-पीसी के आयात पर अंकुश की तैयारी कर ली है.
31 अक्टूबर के बाद से आयात के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा.
सरकार को आईटी हार्डवेयर सेक्टर के लिए पीएलआई के सफल होने की उम्मीद.
नई दिल्ली. दिग्गज पर्सनल कम्प्यूटर (पीसी) मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों सहित लगभग 44 आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने भारत में लैपटॉप, टैबलेट और पीसी बनाने के लिए पंजीकरण कराया है. एक आधिकारिक सूत्र ने शनिवार को यह जानकारी दी. अधिकारी ने किसी कंपनी का नाम लिए बिना कहा कि पीएलआई के कारण जो सफलता मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग में देखने को मिली उसी सफलता को इस बार भी दोहराने की उम्मीद है.
अधिकारी ने कहा, ”प्रमुख लैपटॉप कंपनियों ने पीएलआई के लिए पंजीकरण कराया है और उनमें से कुछ किसी भी समय भारत में विनिर्माण शुरू कर सकती हैं. वैश्विक सर्वर कंपनियों ने कहा है कि वे भारत को एक निर्यात केंद्र बनाना चाहती हैं.” सरकार ने 17,000 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना के तहत आईटी हार्डवेयर विनिर्माण द्वारा रजिस्ट्रेशन कराने की आखिरी तारीख 30 अगस्त तय की है.
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इन कंपनियों ने कराया रजिस्ट्रेशन
काउंटरप्वाइंट रिसर्च के अनुसार जून 2023 तिमाही में पीसी सेग्मेंट में पीएलआई के लिए आवेदन करने वाली लेनोवो, एचपी, डेल, एप्पल और एसर शीर्ष पांच कंपनियां थीं. काउंटरप्वाइंट रिसर्च के शोध निदेशक तरुण पाठक ने कहा कि भारत में कुल लैपटॉप और पीसी बाजार सालाना आठ अरब अमेरिकी डॉलर के करीब है। इसमें लगभग 65 प्रतिशत इकाइयां आयात की जाती हैं.
आयात पर लगेगा अंकुश
भारत सरकार ने लैपटॉप-पीसी के आयात यानी इम्पोर्ट पर अंकुश लगाने की भी तैयारी कर ली है. अब लैपटॉप-पीसी मंगाने के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य हो जाएगा. नए नियम को इसी महीने लागू करने की खबरें आई थीं. हालांकि, सरकार ने इस संबंध में सफाई देते हुए कहा है कि 31 अक्टूबर तक बगैर किसी लाइसेंस के कंपनियां लैपटॉप या पीसी बाहर से भारत में आयात कर सकेंगी. नई व्यवस्था 1 नवंबर से लागू होने का अनुमान है. आईटी के बाजार से जुड़े लोगों का मानना है कि इससे भारतीय हार्डवेयर इंडस्ट्री को बहुत सपोर्ट मिलेगा. उनका कहना है कि भारत अपनी जरूरत का 60-65 फीसदी हार्डवेयर यहीं तैयार कर सकता है.
टाइम्स ऑफ़ हिंदी की ज़रूरतों के लिए ये क्या अर्थ रखता है?
यह विकास देखने के लिए खुशी की बात है कि भारत में लैपटॉप-पीसी के निर्माण के लिए बड़ी संख्या में कंपनियां रजिस्ट्रेशन करा रही हैं। इससे देश में नई रोजगार सृजन होगा और भारतीय हार्डवेयर इंडस्ट्री को भी मजबूती मिलेगी। इसके प्रभाव से देश को एक आँगनता भी मिल सकती है क्योंकि यह भारत को एक आईटी हब बनाने का दावा कर गया है। इससे देश की आर्थिक संपत्ति और सुरक्षा में भी सुधार हो सकता है।
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