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सांप के काटने पर 95 फीसदी लोग करते हैं ये गलती, जा सकती है जान, डॉ…..

बरसात के मौसम में सांपों के काटने की घटनाएं अचानक बढ़ जाती हैं. बिलों में रहने वाले सांप अक्‍सर इस मौसम में बाहर निकलते हैं और स्‍नेक बाइटिंग जैसी घटनाएं सामने आती हैं. सभी सांप जहरीले नहीं होते हैं लेकिन जो जहरीले होते हैं उनका जहर तेजी से शरीर में फैलता है और मरीज की जान तक चली जाती है, हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों की मानें तो लगभग सभी प्रकार के सांपों के जहर का इलाज आजकल मौजूद है इसके बावजूद सांप के काटने पर मरीजों की मौत इसलिए भी होती है क्‍योंकि लोग पहली से बनी-बनाई धारणाओं के चलते कई गलतियां करते हैं.

डॉ. राजेश प्रजापति, मेडिकल सुप्रिटेंडेंट, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, बल्दीराय सुल्तानपुर टाइम्स ऑफ़ हिंदी से बातचीत में कहते हैं कि सांप के काटने से पिछले 20 साल में भारत में 12 लाख से ज्‍यादा लोगों की मौत हुई है, जिनमें से 97 फीसदी मौतें गांव-देहात के इलाकों में हुई है. दिलचस्‍प है कि देश में सांपों के काटने को पूर्वज, अनहोनी, पुराने जन्‍मों की जिंदगी आदि से जोड़कर देखा जाता है और उसी के हिसाब से सांप काटने के इलाज लिए बायगीर, तंत्र-मंत्र और झाड़-फूंक के तरीके अपनाए जाते हैं. जबकि डब्‍ल्‍यूएचओ इसे एक उपेक्षित ट्रॉपिकल बीमारी मानता है और एंटी वेनम वैक्‍सीन से इसका इलाज संभव है.

सांप के काटने की पहचान करने के तीन तरीके हैं. पहला ये कि जिस व्‍यक्ति को सांप ने काटा है उसने सांप काटते, आते-जाते देखा हो. दूसरा तरीका है जिस जगह पर सांप ने काटा है उस जगह दो बूंद जैसे गोल निशान ऊपर-नीचे या आसपास हों. तीसरा जो तरीका है वह है सांप के काटने के लक्षण. अगर किसी को बेहोशी, सुस्‍ती या नींद आए, पलक भारी होने लगें, पेट में दर्द हो सकता है, उल्‍टी आए, सांस लेने में तकलीफ होने लगे, पेशाब का रंग लाल या ब्राउन हो, सांप के काटे वाली जगह सूज जाए, लाल हो जाए या शरीर पर चकत्‍ते हो जाएं तो समझें कि सांप ने काटा है.

डॉ. राजेश कहते हैं कि काटने वाले सभी सांप जहरीले नहीं होते. करीब 80 फीसदी सांप विषैले नहीं होते. सिर्फ 20 फीसदी सांप ही जहरीले होते हैं जो सही इलाज न मिलने पर जानलेवा हो जाते हैं. भारत में जो चार सांप सबसे जहरीले होते हैं वे हैं कॉमन कोबरा यानि काला नाग, सॉ-स्केल्ड वाइपर, कॉमन क्रेट और रसेल वाइपर. इन्‍हें ऐसे भी पहचान सकते हैं कि इन सांपों का फन नुकीला और त्रिकोण वाला होता है. इसलिए सांप काट ले तो घबराएं नहीं, बल्कि सभी चीजों का ध्‍यान रखकर मरीज को तुरंत अस्‍पताल लेकर पहुंचें.

डॉ. राजेश कहते हैं देश में अगर पूछा जाए तो करीब 99 फीसदी लोगों को ये ही बात पता होगी कि अगर सांप काटे तो जहर को शरीर में फैलने से रोकने के लिए उस जगह को कसकर बांध दो. कई बार लोग एक जगह नहीं बल्कि दो-तीन जगहों पर भी रस्‍सी से कसकर बंध लगा देते हैं, जो कि सबसे बड़ी गलती है. ऐसा करने से सांप के काटने वाली जगह पर खून की आपूर्ति रुक जाती है और उसके टिश्‍यू डैमेज होने लगते हैं जिसके चलते गैंगरीन और पैरालिसिस जैसी बीमारियां होने का खतरा होता है. मरीज की मौत भी हो सकती है. इसके अलावा लोग उस जगह को धारदार चीज से काट भी देते हैं जो कि गलत है. सांप को पकड़ने की कोशिश भी न करें.

डॉ. प्रजापति कहते हैं कि यूपी ही नहीं बल्कि हर राज्‍य में हर जिले के हर सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र या जिला अस्‍पताल में 24 घंटे एएसबी यानि एंटी स्‍नेक वेनम वैक्‍सीन उपलब्‍ध रहती है, जो कि सांप काटने के तुरंत बाद लगाई जाती है. ऐसे में जैसे ही सांप काट ले तो कोशिश करें कि ओझा के पास ले जाने के बजाय तत्‍काल सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र में लेकर पहुंचें. अस्‍पताल में ब्‍लड की एक जांच के द्वारा यह भी पता लगा लिया जाता है कि जहरीले सांप ने काटा है या सामान्‍य सांप ने.

. अगर किसी को सांप ने काटा है तो उस मरीज को ऊपर सिर करके लिटा दें. जिस अंग में सांप ने काटा है उसे हिलने-डुलने या चलने-फिरने न दें क्‍योंकि वह अंग जितना मूवमेंट करेगा, जहर उतना ही फैलेगा.
. सांप के काटे वाली जगह को सांप और साफ पानी से धुल दें.
. काटे हुए स्‍थान को साफ सूती कपड़े से ढक दें.
. मरीज को तत्‍काल नजदीकी सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य केंद्र या जिला अस्‍पताल लेकर जाएं, कोशिश करें कि सांप काटने के घंटे भर के अंदर मरीज को मेडिकल ट्रीटमेंट मिलना शुरू हो जाए.

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