हिना आज़मी/ देहरादून. आज हर क्षेत्र में महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं. आज न सिर्फ महिलाएं किचन और घर संभाल रही है बल्कि घर में पुरुषों के सामान व्यवसाय कर हाथ भी बटा रही हैं. आज हम आपको देहरादून की एक ऐसी महिला के बारे में बताने वाले हैं जो दूसरी महिलाओं के लिए प्रेरणा बन रही है. हम बात कर रहे हैं देहरादून की रेखा की, जो एक गृहणी थी जिन्होंने खुद आत्मनिर्भर बनने के लिए टिफिन सर्विस शुरू की. चंद लोगों को वह खाना बनाकर भेजती थी लेकिन आज उन्होंने अपना ही रेस्टोरेंट शुरू कर दिया है.
लोकल 18 से बातचीत में रेखा ने बताया कि वह कई सालों से पीजी के बच्चों का खाना बनाने का काम कर रही थी लेकिन अचानक उनके पति का देहांत हो गया जिसके बाद वह काफी ज्यादा परेशान रहने लगी. उन्होंने बताया कि उनकी 20 साल की बेटी है जिसे देखकर उनके मन में आया कि उन्हें कुछ करना चाहिए. परिजनों के सहयोग से उन्होंने मम्मी की रसोई शुरू कर दी जिसमें वह चाइनीस और इंडियन फूड परोस रही हैं.
‘पंजाब और राजस्थान से लोग खाना खाने आते हैं’
रेखा का कहना है कि इंसान के पास हमेशा कुछ नहीं रहता है जिसे जाना होता है वह चला जाता है लेकिन उसमें दुखी रहकर काम नहीं चलता है जो लोग हमारे पास है उनके लिए हमें जीना पड़ता है. हमें दुखों से हार नहीं माननी चाहिए जो बीत गया उससे दुखी होने से बेहतर है कि हम आने वाले कल को बेहतर बनाने के लिए कुछ काम कर सके.जिंदगी चलाने के लिए कुछ ना कुछ तो करना होता है तो उन्होंने इस किचन को ही शुरू कर दिया. उन्होंने बताया कि उनके इस रेस्टोरेंट में देहरादून ही नहीं बल्कि पंजाब और राजस्थान से लोग खाना खाने आते हैं.
कहां हैं मम्मी की रसोई ?
आपको बता दे की मम्मी की रसोई में आपको लजीज खाने के साथ-साथ एक सेल्फी प्वाइंट जिसमें आई लव यू मॉम लिखा है और इसी के साथ ही यहाँ लिखी गई लाइन्स तो आपके चेहरे पर कभी मुस्कान लाएगी तो कभी आपकी आंखें नम कर सकती है क्योंकि यह आपकी मां की याद दिला देगी.अगर आप भी इस रेस्टोरेंट के लजीज खाने के साथ-साथ यहां के डेकोरेशन को देखना चाहते हैं तो आप सुभाष रोड पर जाने के लिए देहरादून के एस्टले हॉल पर पहुंचे जहां से थोड़ा ही आगे चलकर आपको मम्मी की रसोई रेस्टोरेंट देखने को मिल जाएगा.
टाइम्स ऑफ़ हिंदी की बाहरी सहायता द्वारा परिवेश में हुई यह बदलाव काफी महत्वपूर्ण है। हर रोज़ कई महिलाएं संघर्ष करती हैं और हमेशा सामान्य और पुरुषों के कर्तव्यों से सवाल करती हैं। इसलिए, रेखा की कहानी महिलाओं के लिए प्रेरणादायक है और हम सभी को यात्रा में संघर्ष करने के लिए प्रेरित करती है। इससे हमें यह समझने में मदद मिलती है कि कुछ भी संभव है और हमारी महनत और संकल्प के साथ हम बड़ी चीज़ें कर सकते हैं।