नरेश पारीक/ चूरू: लोक संस्कृति से सराबोर राजस्थान अपने गर्वीले इतिहास के लिए जाना जाता है यहां की लोक मान्यताएं और आस्था देखते ही बनती है. जी हां लोक देवताओं को खुश करने के लिए डेरु की थाप पर जहरीले साँपों के साथ गोगा भक्त नृत्य करते हैं. चूरू के निकटवर्ती घडवा जोहड़े में वर्षो से गोगामेड़ी में भरने वाला ऐतिहासिक गोगा मेला अपने आप मे अनूठा है, जहां इंसानों के साथ पशु भी नृत्य करते हैं और यहां पुरुष,महिलाओं का रूप धारण कर नृत्य करते हैं. ये हैरतअंगेज नृत्य यहां आस-पास के इलाकों से जुटने वाली भीड़ के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है.ऐतिहासिक घडवा जोहड़ में भरने वाले इस मेले में आसपास के गांवों सहित चूरू शहर के श्रद्धालु बड़ी संख्या में यहां लोक देवता के धोक लगाने पहुँचते हैं.
मेले में ऊंट-घोड़ी का हैरतअंगेज नृत्य ग्रामीणों में आकर्षण का केंद्र रहा. ऊंट नृत्य में झुंझुनू के बिबासर के रोहिताश कुलड़िया ने प्रथम व छावत्सरी के नेकीराम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया. घोड़ी नृत्य प्रतियोगिता में गांव कारंगा के भवानी सिंह ने प्रथम व आसलखेड़ी के सांवताराम ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया. इससे पूर्व रात्रि को गोगामेड़ी में भव्यजागरण में भजनों की स्वर लहरिया गुंजी. झारिया धाम के आकाश नाथ महाराज ने गणेश वंदना से कार्यक्रम का शुभारंभ किया. आकाश नाथ जी ने बालाजी ने लाड लडावे माता अंजना, ध्याननाथ व विद्यानाथ महाराज ने बाछल माता बेठी झरोखा रे माय……और झुंझुनू के हीरो की ढ़ाणी सोनासर के अभयनाथ महाराज व मुरलीपुरा जयपुर के निवृत्तिनाथ महाराज ने भी एक से बढ़कर एक भजनों की प्रस्तुतियां देकर श्रद्धालुओं को देर रात तक बांधे रखा.
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[टाइम्स ऑफ़ हिंदी] : September 26, 2023, 10:51 IST